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Jun 14, 2018, 13 tweets

महिलायों के प्रति दुष्कर्मों में बढ़ोतरी देख कर बार बार ध्यान जाता है इतिहास की ओर जहाँ ऐसी दुर्गति से बचने हेतु हमारी राजपूत मातायों ने हँसते हँसते मृत्यु वरी, जौहर किया था। महारानी पद्मिनी की प्रसिद्ध गाथा के माध्यम से इस दुष्कर प्रथा का वर्णन कर रही हूँ।

#जौहर
#महरानी_पद्मिनी

है यह कथा अमर पद्मिनी रानी की,
शौर्य सुगाथा भगवती भवानी की
क्षत्राणी सती के रुद्र व्रत अटल की,
सनातन हिंदु संस्कृति विमल की !

पुन: घिरा मेघ मेवाड़ पर काला,
शत्रु ने आघात किया था कराला!
द्वार खड़ा था नरपिशाच विदेशी,
जिसके हृदय न मानवता लेश थी!

#जौहर
#महारानी_पद्मिनी

लिए नयन में स्वपन विजय का,
ले सेना अगाध आया निर्दय था !
नहीं मर्यादा न संस्कृति उसकी,
केवल कुवासना भरी वृति उसकी!

वो मांग रहा प्रतिष्ठा क्षत्रियों की,
आंख मे उसकी अस्मिता सतियों की,
न रही कोई अब आशा बचने की,
घड़ी आ पहुँची थी मारने मरने की!

#जौहर
#महारानी_पद्मिनी

ऐसे में महारानी आगे चल आई,
क्षत्राणी पद्मिनी सुंदरी सुखदाई,
लिया एक क्षण में मृत्यु का व्रत था,
जीवन का मूल्य मानो तृण-वत था!

पुरुषों ने पहने फिर केसरी बाने,
हृदयों में बलिदान का हठ ठाने,
रख कर मुख में तुलसी के पात,
कह प्रियजनों से विदा की बात,

#जौहर
#महारानी_पद्मिनी

जय एकलिंग का थे घोष गुंजाते,
निकले मिल वीर हंसते मदमाते,
सभी योद्धा महारौद्र रूप धरे थे,
एक एक के हाथ से कई मरे थे !

जौहर का उत्सव पीछे किले में,
झुण्ड क्षत्रानियों के आते चले थे,
सोलह सिंगार कर आई थी सारी,
धर्म की धुरा पर अडिग वीर नारी!

#जौहर
#महारानी_पद्मिनी

गा रहीं थी गीत शौर्य के शक्ति के,
उमग रहे हृदयों में भाव भक्ति के,
माँ भवानी को सादर शीश नवाती,
थीं पूजा के सुंदर थाल सजाती!

खुला भव्य कुण्ड जौहर का आज,
था सजा मृत्यु के उत्सव का साज!
चंदन की चितायें चिनी थी शत शत,
शोभ रहे थे उन पर कुमकुम अक्षत!

#जौहर
#महारानी_पद्मिनी

आहुति बनी थी घी और तेल की,
सन-सर्ज-गोंद, आग्नेय मेल की!

महारानी आ स्वयं समक्ष खडी थी,
चण्डिका रूप धरे दमक रही थी!
गूंजा दशदिश में जयजय का घोष
किया अर्पित प्रभु को प्राण कानकोष!

#जौहर
#महारानी_पद्मिनी

एक क्षण भी नहीं सोचा किसी ने,
पलभर भी न आलोचा किसी ने,
कूद गईं सभी कुण्ड में एक साथ
धधक उठी थी महायज्ञ की आग!

उठ रही प्रचण्ड अग्नि की ज्वाला,
लपकती कालजिह्वा विकराला,
करती पराजित भवितव्य काला,
छूती नभ को भव्य ज्योति विशाला।

#जौहर
#महारानी_पद्मिनी

एक भी मुख से आह नहीं निकली,
मानो मृत्यु से गले मिलने थीं चली!
जल रही चाहे देह अग्नि में उनकी,
किंतु मुख पर रही कांति दमकती!

पिघल रहे नख मुख और आँख थे,
गिरते बन जल कर ढेर राख के!
कड़कते चटकते हाड थे कोमल,
पल में जल उड़ते मृदु केश विमल।

#जौहर
#महारानी_पद्मिनी

भूषित तन जो कभी रमणीय बड़े थे,
अग्नि में जल हुये ध्वस्त पड़े थे!

कनकसमा दिव्य सतियों की काया
विधर्मी विदेशी कोई छू नहीं पाया,
जीत कर भी दुष्ट था सका न जीत,
थी जीती अंत में जौहर की रीत!

#जौहर
#महारानी_पद्मिनी

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