जिस समय बाबर की सेना ने अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि मंदिर को तोडा, उस समय संत कवि तुलसी दास की आयु १७-१८ वर्ष के लगभग रही होगी! इतिहास के अनुसार गोस्वामी तुलसीदास जो का जन्म १५११ ईस्वी में हुआ और मन्दिर का विध्वंस १५२८ ईसवी में!
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इस समकालीनता को देखते हुए कई वामपंथी यह प्रश्न उठाते हैं कि तुलसीदास जी तो श्री राम को अपना इष्ट मानते थे, तो फिर उन्होंने इस बात का प्रसंग श्री राम चरित मानस में क्यूँ नहीं किया? क्या इसका अर्थ ये निकला जाये कि यह घटना हुई ही नहीं ?
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इस प्रश्न का उत्तर यह है कि मानस एक भक्ति-पूर्ण कृति है जो कि १०,००० वर्ष पूर्व के काल का वर्णन सुनाती है ! इस पुस्तक में बाबर के अत्याचारों का उल्लेख किस प्रकार से संगत हो सकता था? अतः यहाँ कोई ऐसा प्रसंग नहीं पाया जाता!
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किन्तु यह भी सत्य है कि गोस्वामी जी ने मानस के अतिरिक्त भी कई पुस्तकों की रचना की ! इन में ही एक पुस्तक है ‘तुलसी दोहा शतक' जिसमें इस घटना का वर्णन आता है जिसे श्री नित्यानंद मिश्रा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अर्थ सहित प्रस्तुत किया!
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इस संग्रह के माध्यम से उन दोहों के अर्थो को आप तक पहुँचाने का प्रयास किया है | आठ दोहे हैं, जो प्रस्तुत किये गए हैं; प्रत्येक दोहे का अर्थ उसके नीचे दिया गया है| इन दोहों में तुलसीदास जी के ह्रदय की पीड़ा का प्रत्यक्ष प्रमाण है!
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(1) मन्त्र उपनिषद ब्राह्मनहुँ
बहु पुरान इतिहास
जवन जराये रोष भरि
करि तुलसी परिहास॥
अर्थ: क्रोध से ओतप्रोत यवनों ने बहुत से मन्त्र (संहिता), उपनिषद, ब्राह्मणग्रन्थों (वेद के अंग) पुराण व इतिहास के ग्रन्थों का उपहास कर उन्हें जला दिया।
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(2) सिखा सूत्र से हीन करि,
बल ते हिन्दू लोग।
भमरि भगाये देश ते,
तुलसी कठिन कुजोग॥
अर्थ: बलपूर्वक हिंदुओं को शिखा (चोटी) व यग्योपवित से रहित कर उनको गृहविहीन कर उनकेअपने पैतृक देश से भगा दिया गया, तुलसीदास कहते हैं ऐसा कठिन समय आया।
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(3) बाबर बर्बर आइके
कर लीन्हे करवाल।
हने पचारि पचारि जन,
जन तुलसी काल कराल॥
अर्थ : श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि हाँथ में तलवार लिये हुये बर्बर बाबर आया और लोगों को ललकार ललकार कर हत्या की । यह समय अत्यन्त भीषण था।
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(4) सम्बत सर वसु बान नभ,
ग्रीष्म ऋतू अनुमानि।
तुलसी अवधहिं जड़ जवन
अनरथ किय अनखानि॥
(सर (शर) = 5, वसु = 8, बान (बाण) = 5, नभ = 1 विक्रमी सम्वत 1585; ईस्वी सन 1528!)
सम्वत १५८५ की ग्रीष्म ऋतु में, अवध में जड़ यवनों ने यह अनर्थ करा!
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(5) राम जनम महि मंदरहिं
तोरि मसीत बनाय।
जवहिं बहुत हिन्दू हते
तुलसी कीन्ही हाय॥
अर्थ: जन्मभूमि का मन्दिर नष्ट करके, उन्होंने एक मस्जिद बनाई । साथ ही तेज गति से उन्होंने बहुत से हिंदुओं की हत्या की । इसे सोचकर तुलसीदास शोकाकुल हुये ।
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(6) दल्यो मीरबाकी अवध
मन्दिर राम समाज।
तुलसी रोवत ह्रदय हति
त्राहि त्राहि रघुराज॥
अर्थ : मीरबकी ने मन्दिर तथा रामसमाज (राम दरबार की मूर्तियों) को नष्ट कर दिया । राम से रक्षा की याचना करते हुए विदिर्ण ह्रदय से तुलसीदास बहुत रोये।
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(7) राम जनम मन्दिर जहाँ,
तसत अवध के बीच।
तुलसी रची मसीत तहँ,
मीरबकी खल नीच॥
अर्थ : तुलसीदास जी कहते हैं कि अयोध्या के मध्य जहाँ राममन्दिर था वहाँ नीच मीरबकी ने मस्जिद बनाई।
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(8)रामायन घरि घट जहाँ
श्रुति पुरान उपखान।
तुलसी जवन अजान तँह
करत कुरान अज़ान॥
अर्थ : श्री तुलसीदास जी कहते है कि जहाँ रामायण, श्रुति, वेद, पुराण के प्रवचन होते थे, घण्टे, घड़ियाल बजते थे, वहाँ अज्ञानी यवनों की कुरआन/अज़ान होने लगे।
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इन आठ दोहों से यह स्पष्ट है कि गोस्वामी तुलसीदास जी की इस रचना में जन्मभूमि विध्वंस का विस्तार से वर्णन किया है! इस संग्रह को प्रमाण मान न्यायलय को विवादित परिसर को निर्विवाद घोषित कर उसे मंदिर हेतु उपलब्ध करना होगा!
जय श्री राम!
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