पंडित जी एक महान लेखक व कवि थे। वीर रस भरी हृदय में जोश जगाने वाली अनेक कवितायें व गद्य रचनाएं लिखी। इनकी क्रान्तिकारी गतिविधियों के कारण अंग्रेज़ी सरकार ने फाँसी की सजा दी थी। देश को दासता से मुक्त कराने के लिये सब कुछ न्यौछावर कर दिया।
पंडित जी का जन्म 11 जून 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर गाँव में एक हिन्दू परिवार में हुआ था जो हिन्दू धर्म की सभी मान्यताओं का अनुसरण करता थे। इनके पिता मुरलीधर कचहरी में सरकारी स्टॉम्प बेचा करते थे और इनकी माता मूलमति एक विदुषी महिला थी।
इनके दादा नारायण लाल इनसे बहुत प्रेम करते थे। खूब दूध पिलाते, व्यायाम कराते, मंदिर जाते तो रामप्रसाद को अपने कंधों बिठा साथ ले जाते थे। बिस्मिल पर अपने पारिवारिक परिवेश का काफी प्रभाव पड़ा जो उनके चरित्र में मृत्यु के समय भी परिलक्षित होता था।
पिता ने पढ़ाई पर जोर दिया व १४ वर्ष आयु तक हिंदी अंग्रेज़ी व उर्दू पर उन्होने पूर्ण अधिकार पाया। किंतु कुसंगति से उर्दू उपन्यास, चोरी, नशा आदि की लत लग गई। जाना तो पिता ने पीटा। किंतु माँ समझती थी संगति बदलनी होगी। ईश कृपा से ऐसा ही हुया।
पास के मंदिर में ज्ञानी पण्डित रहने लगे। माँ के प्रोत्साहन से बिस्मिल उनकी और आकर्षित हुये; और वहां देव-पूजा की रीति को सीखा। वो दिन रात प्रभु को भजते। व्यायाम भी शुरु कर दिया जिससे तन मजबूत होने लगा। मनोबल बढ़ा व दृढ़ संकल्प भी विकसित हुया।
मुंशी इंद्रजीत ने उन्हें संध्या करनी सिखाई व सत्यार्थ प्रकाश पढ़ाई। बिस्मिल उनके उपदेश से ब्रह्मचर्य पालन करने लगे। जमीन पर सोते रात का भोजन छोड़ दिया व नमक भी। सुबह 4 बजे उठ व्यायाम करते। 2-3 घंटे पूजा करते। इस तरह ये तन मन से स्वस्थ्य हो गये।
आर्य समाज से जुड़ने पर उनका अपने सनातनी पिता से झगड़ा हो गया; व वे घर छोड कर चले गये। दो दिन जंगल में बिताये तो पिता वापिस लेने गये। घर लौटे किंतु मतभेद बना रहा। प्राणायाम की विधि सीख कर रामप्रसाद अध्यात्म के मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ना चाहते थे।
आचार्य सोमदेव से सम्पर्क होने पर राजनीति से प्रथम परिचय हुया। वो बिस्मिल को धर्म के साथ राजनीति का भी उपदेश देते थे। वो इन्हें देश की तत्कालीन स्थिति समझाते व विभिन्न नेतायों की पुस्तकें पढने को कहते। इस प्रकार देशप्रेम की अग्नि प्रज्ज्वलित हुई।
1916 में लाहौर षड़यन्त्र के अभियुक्तों पर मुकदमा चला। बिस्मिल इसके मुख्य अभियुक्त भाई परमानंद की पुस्तक ‘तावारीख हिन्द’ को पढ़कर इनसे बहुत प्रभावित हो गये थे। उनको मृत्युदंड दिये जाने पर बिस्मिल ने प्रथम देशभक्ति की कविता रची ‘मेरा जन्म’।
वे कांग्रेस के लिये काम करने लगे। पुस्तकें बेचते व उससे आया धन पार्टी को दे देते। 1922 में जब गांधीजी ने आंदोलन वापिस लिया तो अन्य युवकों संग उन्होने गर्म दल का गठन किया। सब साथियों ने सौगंध ली देश को स्वतंत्र करवाना ही होगा चाहे प्ारण देने पड़ें।
गर्मदल के युवक जोरशोर से क्रांतिकारी विचारों का प्रचार करने लगे। बिस्मिल का बडा योगदान रहा। 11 वर्ष में उन्होंने 11 पुस्तकें लिखी व छपवाईं। 1918 में धन हेतु सबने एक बस लूटने की योजना बनाई जो असफल रही। अंग्रेज़ों ने इसे मैनपुरी कांसपीरेसी नाम दिया।
1925 में फिर धन की कमी राणा सभी साथियों ने रेल में भेजे जा रहे सरकारी ख़ज़ाने को लूटने की योजना बनी। इस काम में बिस्मिल सहित दस बडे क्रांतिकारी शामिल थे। ख़ज़ाना तो लूट लिया किंतु अंग्रेज़ बिफर गये। यह घटना ‘काकोरी कांड’ के नाम से विख्यात है।
28 सदस्यों पर षड़यंत्र मे शामिल होने का मुकदमा दर्ज हुया। बिस्मिल, अशफ़ाक व आजाद के गिरफ्तारी के वारंट निकले। चन्द्रशेखर आजाद को पुलिस जीते जी क़ैद न कर पाई। शुरु में तो अशफ़ाक व बिस्मिल फरार होने में सफल रहे लेकिन बाद में दोनों पकडे गये।
ख़ज़ाना लूटते समय बिस्मिल ने बंदूक़ अपने साथी मन्मथनाथ को दे दी थी, जिसके हाथ अनजाने गोली चलने से एक यात्री की मौत हुई, इस कारण अंग्रेज़ों को अपराध को संगीन बताने का मौक़ा मिल गया। कुछ सरकारी गवाह बन बच गये; अपने साथियों के विरुद्ध साक्षी देकर।
कोर्ट की 18 महीने तक चली लम्बी प्रक्रिया के बाद बिस्मिल, अशफ़ाक, राजेन्द्र लाहिड़ी व रोशन सिंह को फाँसी की सजा पक्की हुई। 19 दिसम्बर 1927 को ब्रिटिश सरकार ने बिस्मिल व गोरखपुर की जेल में व अश्फ़ाक को फ़ैज़ाबाद में सुबह 8 बजे फाँसी दे दी।
फाँसी एक ऐसा शब्द है कि सुन कर रूह काम्प उठे किंतु वे जाँबाज़ ऐसे थे कि हँसते हँसते फंदे पर झूल गये। उनकी कवितायें उनके दृढ़ संकल्प व निर्भय अंतर्मन की छवि अपने शब्दों में लिये आज भी हम देशप्रेमियों का उत्साह बढ़ाती हैं।
बिस्मिल 20 वर्ष से भी कम आयु के थे जब उन्होंने जीवन को देश के प्रति समर्पित कर दिया व मात्र 30 वर्ष पर उन्हें मृत्युदंड दे दिया गया। उन्होंने लिखा भी इस विषय में; उनकी अंतिम कविता में देश के नौजवानों के लिये संदेश कहा है। (संलगित चित्र पढें) 🙏
Today is Vamana Dwadshi, the day Bhagwan Vishnu incarnated as a midget brahmin to tame the inflated ego of King Bali, grandson of Bhakta Prahlad and the erstwhile ruler of the three lokas. Read the story in the poetry thread that follows.
Mudras are specific hand positions used in Yogic tradition to facilitate smooth flow of various life energies through the human body. The word Mudra literally means ‘Seal’ (symbol) in Sanskrit. In Yoga each Mudra is a Seal of one specific life force.
Universe is made of 5 elements, and each finger represents one of them. The thumb represents Fire (universal consciousness); the index finger Air (individual consciousness); the middle finger Akasha (connection); the ring finger Earth (life); the little finger Water (flow).
When the 5 elements in our body lose their mutual balance, not only do we lose spiritual and emotional equilibrium; on the physical plane too various ailments can arise as a result. Mudras can help us restore that balance and gain direct benefits in all 3 spheres.
Our biggest excuse is when so many translations are available of every scripture that we ever want to read then why take up the extra load?
What we forget is much is lost in translation n each translation is affected by the translator’s individual understanding of the text.
Our scriptures are multi-layered. Every time we read, we may open another layer. But these layers are lost in translation n we read same layer each time, the one that translator opened. If it isnt in sync with our current spiritual stage, then we may miss the point entirely!
Why does gotra of a daughter change when married? Is there any logic behind it?
Infact there is an amazing genetical system we follow through Gotra Gyan.
The word GOTRA is formed by combination 2 sanskrit words Gau (cow) & Trahi (shed). So gotra basically means cowshed.
Gotra is like cowshed protecting a particular male lineage. We identify our male lineage/gotra as descendants of the 8 great Rishi (Saptarishi + Bharadwaj rishi). All other gotra evolved from these only.
Each human carries 23 pairs of chromosomes each with one from each parent.
महिलायों के प्रति दुष्कर्मों में बढ़ोतरी देख कर बार बार ध्यान जाता है इतिहास की ओर जहाँ ऐसी दुर्गति से बचने हेतु हमारी राजपूत मातायों ने हँसते हँसते मृत्यु वरी, जौहर किया था। महारानी पद्मिनी की प्रसिद्ध गाथा के माध्यम से इस दुष्कर प्रथा का वर्णन कर रही हूँ।
जून ८ को बन्दा बैरागी का शहीदी दिवस मनाया गया. दशमेश गुरु के विशेष सिख थे बन्दा जी, उन्होंने गुरु महाराज के चरण चिन्हों पर चलते हुए अपने प्राणों व अपने परिवार को धर्म की वेदी पर बलिदान किया, इस कविता में उन्हीं की शौर्य कथा कहने का प्रयास किया है, 👇👇