गले मे सर्पों की माला ,
तन में बाघम्बर छाला ,
देवों में देव महान
बैठे लगा के बाबा ध्यान
डम दम डमरू बाजे
हाथों में त्रिशूल साजे
करते हैं जग का कल्याण!!
🚩🔱ॐ नमः शिवायः 🔱🚩 #TrishulTwitter
पौराणिक कथाओं में शिव जी के दो प्रमुख अस्त्रों का जिक्र आता है एक धनुष और दूसरा त्रिशूल।भगवान शिव के धनुष के बारे में तो यह कथा है कि इसका आविष्कार स्वयं शिव जी ने किया था।शिव जी के धनुष का नाम 'पिनाक' है।इन्हें 'पिनाकी' भी कहते है।
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ब्रह्मनाद से जब शिव प्रकट हुए तो साथ ही रज,तम,सत यह तीनों गुण भी प्रकट हुए।यही तीनों गुण शिव जी के तीन शूल यानी त्रिशूल बने।इनके बीच सांमजस्य बनाए बगैर सृष्टि का संचालन कठिन था।इसलिए शिव ने त्रिशूल रूप में इन तीनों गुणों को अपने हाथों में धारण किया। #TrishulTwitter 🔱🚩
शिव तो जगत के गुरु हैं। मान्यता अनुसार सबसे पहले उन्होंने अपना ज्ञान सप्त ऋषियों को दिया था। सप्त ऋषियों ने शिव से ज्ञान लेकर अलग-अलग दिशाओं में फैलाया और दुनिया के कोने-कोने में शैव धर्म, योग और ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया।
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18 वर्ष 8 महीने की उम्र में खुदीराम बोस को जज ने मौत की सज़ा सुनाई। आखिरी इच्छा पूछने पर खुदीराम ने कहा कि "मैं जज साहब को बम बनाना सिखाना चाहता हूँ।"
महान बलिदानी खुदीराम बोस को उनकी पुण्यतिथि पर शत शत नमन 🙏 🇮🇳️🙏 #KhudiramBose
11 अगस्त 1908 को खुदीराम बोस को फ़ांसी दी गयी थी।उनकी शाहदत ने देश में आज़ादी की आग भड़काई।बंगाल के जुलाहे एक खास किस्म की धोती बुनने लगे, जिसके किनारे पर ‘खुदीराम’ लिखा रहता था। स्कूल कॉलेजों में पढ़ने वाले लड़के इन धोतियों को पहनकर आजादी के रास्ते पर चल निकले थे #KhudiramBose
खुदीराम बोस के साथी जब पढ़ाई के बारे में सोच रहे थे,ये क्रांति की मशाल रौशन कर रहे थे, जिस उम्र में लोग जिंदगी के सपने बुनते हैं, वह वतन पर निसार होने का जज्बा लिए हाथ में गीता लेकर फांसी के फंदे की तरफ बढ़ गए, और देश की आजादी के रास्ते में अपनी शहादत के दीप जलाए। #KhudiramBose