#KisanKrantiYatra When the sweet voices @_YogendraYadav comes on TV fishing in troubled water, it is time to sift through some data on Farmers’ crisis story.
Agriculture contributes to 13.7% to the GDP of #India.
Average rate of #Farmer suicide in #India is 13 per 100,000. In Russia it is 18.2, Japan is 20.1, US is 12.6, Australia is 12.5 #KisanKrantiYatra
Farmer suicide in 2016 was 11370. This was 10% less than farming sector deaths in 2014.
The suicide rate in farming sector, though much publicised, is at 4.5 per lakh in agricultural sector, much less than the national suicide average of 10.6 per lakh of population and 12.5 in non-agricultural segment. The other segments pay taxes which fund loan waivers
Unfortunately State Largesse brings no benefit to the Farmer of Renu or Premchand. It is the hukkah-smoking, fortuner-driving farmer with son in Canada who corners the state subsidies, as cash starved state can’t offer free education or health services to all including farmers
MS Swaminathan Commission much touted by people like @_YogendraYadav and @RahulGandhi was constituted in November 2004, submitted final report in 2006, UPA ruled for 8 years since. #KisanKrantiYatra
The 10% of farmers held more than 50% of arable land in India. Land reforms was one of the Primary recommendation of Swaminathan Commission. Land reforms was also at heart of Naxal movement started by atrocities of a Congress landlord in Naxalbari.
Swaminathan Commission also spoke of irrigation reforms. One major cause of farmer distress being dependence on Monsoon. Micro Irrigation scheme tries to resolve this.
Target for 2015-16 was 500k acres, @narendramodi govt did 572k, in 2016-17, it was 800k, and Actual was 837k
The target for 2017-18 is covering 1.2 million hectares. Already 926k@hectares have been covered
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सर्वोच्च न्यायालय की पाँच जजों की बेंच ने “ईन पीन सेफ़्टीपीन” के सार्वभौमिक न्यायिक सिद्धांत का पालन करते हुए प्रात:क़ालिन तात्कालिक बैठक बुलाई और अर्दली को ठँडे समोसे लाने के लिए लताड़ने के पश्चात गणेशोत्सव का प्राथमिकता से संज्ञान लेने का निर्णय लिया। #गणेश_चतुर्थी
गणपति उत्सव का पूना से संबंध को देखते हुए, न्यायाधीश महोदय ने तहसीन पूनावाला को नोटिस भेजा और उनसे जाँच कर के रिपोर्ट करने को कहा गया कि क्या गजानन के मँडपो पर मेनका जी का “नो एलीफ़ेंट वाज़ हर्ट इन मेकांग दिस पंडाल” का बोर्ड लगाया गया है।
इस बीच उन्होंने गणेश जी के गजानन बनने की विषय मे पढ़ा और अपने अर्दली राम खिलावन से कहा कि वो टैरो कार्ड खींच कर इस घटना के दोषी के बारे मे बतलाए। क्या यह शिव का दोष था या पार्वती का या स्वयं गणेश का?
छगनलाल हमारे प्रिय मित्र है। प्रिय माने वैसे जैसे मोदी के शाह, राहुल के मणिशँकर अय्यर, अमरिंदर के सिद्धु, केजरीवाल के अमानतुल्ला खान। हमारा उन पर अपार स्नेह है।
छगनलाल जी क्रांतिकारी विचारों से भरे रहते है। उनके विचार मस्तिष्क से उदर तक ऐसे भरे हैं कि यदि विचार हायड्रोजन होते तो हमारे मित्र ग़ुब्बारे बन कर गगन मे पहुँच चुके होते। मित्र अविवाहित हैं, और ऑफ़िस के सभी विवाहित मित्रों को देख कर उदास होते रहते हैं।
हमने उन्हे कई बार समझाया कि दुखी रहते हुए प्रसन्न दिखने की कला विवाहित पुरूष और मध्य वर्गीय वोटर मे प्रचुर मात्रा मे होती है और इसका उपयोग वे प्रायः कुँवारे व्यक्तियों और राजनैतिक दलो को मूर्ख बनाने मे करते है।
शरद जी रिटायर हो चुके थे। आधार का भय आधारहीन मान कर आधार बनवा चुके थे, और पेंशन प्राप्त कर के भोपाल मे जीवनयापन कर रहे थे। एक बार बिहार जा कर शरद जी नरभसा चुके थे, पुन: नरभसाने का कोई इरादा था नहीं, सो मामाजी के राज में स्वयं को सीमित कर के रखे हुए थे।
इस्लाम आज कल ख़तरे मे नही आता था, संभवत: इमर्जेंसी के बाद से, इस्लाम सबल हो चुका था, और कल निपचती जींस और लोकतंत्र के ख़तरे मे रहने का दौर चल रहा था। न्यू मार्केट के कॉफ़ी हाऊस मे चंद बुद्धिजीवी लोकतंत्र पर आए संकट पर चर्चा कर लेते थे, जोशी जी वहाँ भी नहीं जाते थे।
एक दफे वहाँ के मलियाली वेटर्स को जोशी जी के हिंदी लेखक होने का पता चल गया और उन्होंने जोशीजी को यिंदी यिम्पोजीशन के विरोध मे कॉफ़ी देने से मना कर दिया था। कहाँ शरदजी सरस्वती से ब्रह्मप्रदेश तक लिखना चाहते थे और कहाँ उन्हे बड़े तालाब के उत्तर भाग का लेखक घोषित कर दिया गया था।
ख़िलजी आस पास के रजवाड़ों के लोगों को मारा करता था। रतन सिंह चुप्पी साधे कहे कि कहीं वाशिंगटन पोस्ट उन्हे हिंदू बाईगाट ना कह दे। अखबारो मे आस पास के रजवाड़ों के बारे मे ऊल जलूल लिखा जाता रहा, रतन सिंह कमेटी पर कमेटी बिठाते रहे।
रजवाड़ों मे गोकशी को लेकर बड़ा आक्रोश था। वे उसके ख़िलाफ़ क़ानून बनाने रतन सिंह के पास गए। रतन सिंह देशभक्ति, भाईचारे जैसे कुछ बड़बड़ाते हुए एनडीटीवी को साक्षात्कार देने निकल गए। दूसरे दिन कुछ गोरक्षक पुजारियों की हत्या हो गई।
रजवाड़ों के बार बार परेशान करने पर रतन सिंह ने बरखा दत्त के मधुर स्वर मे धर्मनिरपेक्षता के कैसेट बनवा कर प्रजा मे बँटवाए। प्रजा पर उनके कैसेटों का अभूतपूर्व प्रभाव हुआ। किलो के भाव तलवारें गला कर कीर्तन के लिए करताल बनाए जाने लगे।
#India doesn’t need to earn my affection by being flawless and perfect. Her Every imperfection, every blemish is mine. All her failures are mine. No, I am proud of my India. Never will I question the glory of the land which gave me birth, home and love #IndependenceDayIndia
If her face carries the ugly wounds of the past, I allowed her to suffer under slavery. I failed her as a son. If there is misgovernance, I chose wrong people to rule. If there’s poverty, we must introspect on the leaders we made custodian to the nation for decades.
Every time, she stumbles, I stand apart, brush dust off my clothes and mock her. I laugh at her struggle, mocking - See, so many poor; see so much corruption, see so much dirt and garbage. The world mocks at me. When the mother is belittled, the child loses all respect.
यहीं पर आपसे ग़लती हो गई और आपके झूठे लिबरलत्व का भेद खुल गया। मैं आपकी ग़लतियों स्थापित करता हूँ ताकि भविष्य मे आप त्रुटिहीन तरीक़े से पूर्ण लिबरलत्व प्राप्त कर सकें।
ट्वीट धागे की आयु कम होती है और यह गरीब पटाखे सा चिटपिटा के शाँत हो जाता है। आपको मोदी जी को खुला पत्र लिखना था। बिना मोदीजी का नाम आए आपका लिबरल होना असंभव है। क्या ऐसा काँवड मोदी के टैसिट सपोर्ट का बिना सँभव है? क्या मोदी के नए फ़ासिस्ट भारत मे अकाँवडीय लोगों की जगह है?
आपके पत्र मे जुनैद, पहलू खान और वेमूला का नाम होना चाहिए। मसलन “ऐसी ही ब्राह्मणवादी विचारधारा और मनुवादी सोच की बलि पहलू खान, वैमूला और जुनैद जैसे निर्दोष चढ़ गए। क्या मोदी जी अपनी चुप्पी तोड़ेंगे?” जैसे कहते है ‘खिचड़ी के चार यार, दही, पापड़, घी, अचार’ आपकी लिबरल खिचड़ी सध गई।